Love Poem - मैं कैसे लिखूंगा ग़ज़ल

Love Poem - मैं कैसे लिखूंगा ग़ज़ल


मैं कैसे लिखूंगा ग़ज़ल,
जब नज़र तेरी उठती नही है!!

ना दिखे जब तेरा मुस्कुराना,
पुष्प की कली कोई खिलती नही है!!

चाँदनी रातें रहती अधूरी,
जब तू घर से निकलती नही है!!

मैं कैसे लिखूंगा ग़ज़ल
जब नज़र तेरी उठती नही है!!

ये वादियाँ लगती है सुनी सुनी,
जब तू सजती संवरती नही है!!

छोड़ के शर्मो हया को,
पलकें आँखों के जो तुम उठाती!!

ख़्वाब रहता ना मेरा अधूरा,
ग़ज़ल मेरी पूरी हो जाती!!

हाथ रुक-रुक कर चलता है मेरा,
पर कलम मेरी चलती नही है!!
 
मैं कैसे लिखूंगा ग़ज़ल,
जब नज़र तेरी उठती नही है!!

By Rajesh Kumar Verma

 

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