Shayari on Bhagat Singh - भगत सिंह

Shayari on Bhagat Singh

जब तक जीवित रहे वो
मुल्क से मोहब्बत खूब किया!!

पहन बसंती चोला,
इंकलाब गा झूम लिया!!

थोड़े पागल थोड़े जिद्दी,
थोड़े से दीवाने थे!!

आई कितने भी मुसीबतें,
कभी ना हिम्मत हारे थे!!

देखी जब भारत मां की तकलीफे,
रूप थोड़ा विकराल धरा!!

सांसारिक मोड़ छोड़,
खुद को आजादी के पथ पर मोड़ लिया!!

जब तक जीवित रहे वो,
मुल्क से मोहब्बत खूब किया!!

पहन बसंती चोला,
इंकलाब गा झूम लिया!!

सोए थे हम गहरी नींद में,
कहीं पश्चताप ना होने पाए!!

जगे सहादात पर भी उनके हम,
ताकि भारत मां लज्जित ना होने पाए!!

देश प्रेम की ज्वाला,
कभी ना बुझने पाए!!

यही सोच उन वीरो ने,
फांसी का फंदा चूम लिया!!

जब तक जीवित रहे वो,
मुल्क से मोहब्बत खूब किया!!

पहन बसंती चोला,
इंकलाब गा झूम लिया!!
 
   *****


जब भी खिले देश को समर्पित हुए
तुम सा पुष्प और कोई खिल ना सकेगा

देश प्रेम में इतने हद तक तुम गुजर गए
अब तुम सा दीवाना कोई मिलन सकेगा

   ******

सरहदों पर कोई ना बुरी नजर उठा सके,
वीरों को चट्टानों के मानिंद रहना चाहिए!!

जाते जाते कह गए भारत मां के वीर सपूत,
हम रहे ना रहे ये हिंद रहना चाहिए!!

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वक्त के जंजीरों में हिंद जब कैद था,
हर जगह अंधेरों में बन के तुम दिए जले!!

हिंद से थी तुमको इतनी मोहबते,
जब तक जिये तुम बस हिंद के लिए जिये!!
जय हिंद

Rajesh Kumar Verma

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