Hindi Poem - जब उम्मीदों के दीपक बुझने लगे

Hindi Poem - जब उम्मीदों के दीपक बुझने लगे

Hindi Poem Hindi Kavita

 जब उम्मीदों के दीपक बुझने लगे,
तो हौसलों के दीपक जला लेना!!

जब सारे ख्वाब टूटकर बिखरने लगे,
तो नए ख़्वाबों को दिल में सजा लेना!!

दौलतों के दौर में बढ़ रहा है,
तन्हा रहने का चलन!!

तन्हा रह कर ही,
अक्सर लोग हार जाते है जिंदगी!!

मनो कई बार यें तन्हाई कहती है हमसे,
कुछ नहीं रखा है इस संसार में!!

पर सच तो ये है जीवन ही सबसे अनमोल है,
सारी शोहरत लूटाकर भी जीवन बचा लेना!!

जीवन में जब भी अकेलापन लगे,
तुम अपनो को अपने पास बुला लेना!!

जब उम्मीदों के दीपक बुझने लगे,
तो हौसलों के दीपक जला लेना!!

By Rajesh Kumar Verma



Post a Comment

0 Comments