About Ballia - बलिया से बाग़ी बलिया तक का सफ़र


About Ballia - बलिया से बाग़ी बलिया तक का सफ़र

बलिया जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पुरोत्तर में स्थित है बलिया शहर में मुख्य रूप से दो नदिया गंगा और घाघरा बहती है्, यह शहर वाराणसी से लग भग 160 किलोमीटर की दूरी पर पूरब दिशा में स्थित है
बलिया को देव भूमि भी कहा जाता है बलिया में विश्व विख्यात ददरी मेला लगता है।

बलिया क्रांतिकारियों का जिला रहा है बलिया ने देश को मंगल पण्डे, चितू पाण्डेय जैसे महान क्रन्तिकारी दिए है बलिया मेरी जन्मभूमि है मैं अपने आपको गौरवशाली समझता हूं की मैंने ऐसी धरती पर जन्म लिया जिसे बागियों की धरती कहा जाता है।
आइए हम जानते है बलिया के दो महान क्रांतिकारियों के बारे में।

1. मंगल पांडे




मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई सन 1827 को बलिया जिले के नगवा गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम सुदिष्ट पांडे तथा माता का नाम जानकी देवी था मंगल पांडे तीन भाइयों में सबसे बड़े थे

मंगल पांडे के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण उन्होंने ने अंग्रेजो की फ़ौज में बतौर
सिपाही नौकरी कर ली मंगल पांडे बचपन से ही क्रांतिकारी विचारधारा के थे

1857 में मंगल पांडे ने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह कर दिया विद्रोह करने कारण बन्दुकों में इस्तेमाल होने वाली कारतूस थी कारतूस को इस्तेमल करने से पहले उसके बाहरी आवरण को दांतों से काटना पड़ता था कारतूस का बाहरी आवरण सुअर की चर्बी और गाय के मांस से बना होता था

6 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे का कोर्ट मार्शल कर दिया गया और 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दिया गया फांसी के वक्त मंगल पांडेकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी फांसी से पहले ही वो आजादी का बिज क्रांतिकारियों में बो चुके थे जो आजादी के बाद ही थमी

2.  चित्तू पांडेय 




महान स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी और शेरे बलिया कहे जाने वाले चित्तू पांडेय का जन्म 1865 में बलिया जिले के रत्तुचक नामक गाँव में हुआ था

1942 में ब्रिटिश विरोधी आन्दोलन में चित्तू पाण्डेय बलिया के स्थनीय लोगो को लेकर एक फ़ौज बनाई और वहां से अंग्रेजो को भगा दिया था

देश की आजदी से 5 वर्ष पूर्व ही 19 अगस्त 1942 चित्तू पांडेय ने बलिया को आजाद घोषित कर दिया और वहां स्थानीय सरकार बना ली जब वहां स्थानीय सरकार बनी तो वहां के लोगो ने चित्तू पांडेय को वहां का कलेक्टर और पण्डित महानन्द मिश्र को पुलिस अधिक्षक नियुक्त कर दिया बलिया को आजाद करने के लिए बहुत सारे क्रांतिकारियों ने अपनी प्राण की आहुति दी उन्ही की याद में 19 अगस्त को बलिया बलिदान दिवस मनाया जाता है

22 अगस्त 1942 की रात लगभग 2:30 बजे निदरसोल नमक ब्रिटिश अधिकारी के नेतृतव में बलिया पर अंग्रेजो द्वारा फिर से कब्ज़ा कर लिया गया बलिया में अंग्रेजो द्वारा भीषण नरसंहार किया गया सभी स्वतंत्रता सेनानी को गिरफ्तार कर उन्हें तरह तरह की यातनाएं दी गयी

अंग्रेज भारत को ज्यादा दिन गुलाम नहीं रख सके देश की आजादी के साथ ही बलिया को भी 15 अगस्त 1947 की पूर्ण रूप से आजाद करा लिया गया

भारत को आजदी मिलने से पहले ही महान क्रन्तिकारी चित्तू पांडेय की मृतु सन 1946 में हो गई

अंग्रेजो के खिलाफ बलिया के लोगो के बाग़ी तेवर ने ही बलिया को बागी बलिया बना दिया


मेरा शत् शत् नमन है उन वीर सपूतों को!
- राजेश कुमार वर्मा   


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