Biography of Ten Famus Poets - 10 महान कवियों के बारे में संक्षिप्त परिचय

Biography of Ten Famus Poets - 10 महान कवियों के बारे में संक्षिप्त परिचय

हम सभी जानते है की हमारे देश के लोग कविओं से से कितना प्यार करते हैं। जिस तरह से यह  हमारी भावनाओं और जीवन के क्षणों का वर्णन करता है, उससे हमें प्यार हो जाता है। रोमांस, दुख, खुशी और हमारी अन्य सभी भावनाओं को कविता के शुद्ध रूप में खूबसूरती से वर्णित किया गया है।
भारतीय उपमहाद्वीप में कविता का इतिहास सदियों से चला आ रहा है। वैदिक संस्कृत की कविताओं से लेकर 3,000 साल पहले तक उर्दू शायरी तक, जो मुगल साम्राज्य के तहत विशेष रूप से विकसित हुई, काव्य परंपराओं की विशाल विविधता, जो भारत में फैली हुई है, काफी व्यापक हो सकती है।
आइये हम आज 10 महानतम कविता के बारे में संक्षिप्त विवरण जानते है


1. कालिदास (Kalidas)



कालिदास भारत के महानतम कवियों में से एक थे वो कवि के साथ साथ महान नाटककार भी थे। महाकवि कालिदास का जन्म औत मृतु कब और कहां हुआ इसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं हैं। इनके जन्म को लेकर विद्धानों के अलग-अलग मत है।
विद्वानों ऐसा मानना है कि कालिदास 150 ईसा पूर्व 450 ईस्वी तक रहे होंगे। जबकि एक शोध के मुताबिक कालिदास गुप्त काल में जन्मे होंगे। चूंकि कालिदास ने, द्धितीय शुंग शासक अग्निमित्र को नायक बनाकर एक नाटक “मालविकाग्निमित्रम्” लिखा और अग्निमित्र ने 170 ईसापू्र्व में शासन किया था, इससे महा कालीदास के जन्म का नुमान लगाया जा सकता है।

कालिदास की रचनाओं में मुख्य रूप से तीन नाटक: अभिज्ञान शाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम् और मालविकाग्निमित्रम्, दो महाकाव्य: रघुवंशम् और कुमारसंभवम्; और दो खण्डकाव्य: मेघदूतम् और ऋतुसंहार शामिल है।

2. रविंद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore )



रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ था उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था उनकी आरम्भिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी।
उन्होंने बैरिस्टर बनने की इच्छा में 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन में पब्लिक स्कूल में नाम लिखाया फिर लन्दन विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया लेकिन बीन्द्रनाथ टैगोर सन् 1883 में बिना डिग्री प्राप्त किए ही स्वदेश वापस लौट आए। सन् 1883 में उनका विवाह मृणालिनी देवी के साथ  हुआ
रवींद्रनाथ टैगोर ने कविता की कई अविश्वसनीय अंश लिखे थे। उन्होंने काफी हद तक बंगाली में कविता लिखी थी। उन्होंने उपन्यास, नाटक, लघु कथाएँ और यहाँ तक कि चित्रों की भी रचना की। उन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला, काफी हद तक गीतांजलि के लिए, उनकी कविता का एक संग्रह जो आज उनके सबसे प्रसिद्ध कार्यों में से है।

3. मिर्ज़ा असदुल्लाह खान ग़ालिब (Mirza Ghalib)


https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0:Mirza_Asadullah_Baig_Khan_ghalib.jpg
Image Source wikipedia


मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्म एक सैनिक परिवार में उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में हुआ था, बचपन में ही उन्होने अपने पिता और चाचा को खो दिया था।
सन् 1750 ई. के आसपास मिर्ज़ा ग़ालिब के दादा मध्य एशिया के समरक़न्द से भारत आए थे ग़ालिब की शिक्षा के बारे में स्पष्टत तौर से कुछ कहा नहीं जा सकता, ग़ालिब का विवाह 13 वर्ष की  आयु में नवाब ईलाही बख्श की बेटी उमराव बेगम से हो गया था।
ग़ालिब ने अपनी शायरी से पाठक का दिल छू लिया। उन्होंने उर्दू में अपने सुंदर और भावुक अंश लिखे हैं। उन्होंने 11 साल की उम्र में कविता रचना शुरू कर दी थी। ग़ालिब की सबसे अच्छी कविताएँ तीन रूपों में लिखी गई थीं: ग़ज़ल, मसनवी (नैतिक या रहस्यमय दृष्टांत), और क़ायिदा।

4. अमीर ख़ुसरो  (Amir Khusrow) 


मध्य एशिया की लाचन जाति के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र अमीर खुसरो का जन्म सन् 1253 ई. में उत्तर-प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक गाँव था।
अमीर खुसरो को बचपन से ही कविता करने का बहुत शौक़ था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो 20 वर्ष के आयु में ही प्रसिद्ध कवि हो गए थे।

इनकी काव्य प्रतिभा की चकाचौंध में, इनके बचपन का नाम अबुल हसन बिल्कुल ही बिलुप्त हो गया।

अमीर खोस्रो ने तुहका-तुस-सिग्र (बचपन का तोहफा), वसतुल हयात : (जीवन का मध्य भाग), गुर्र-तुल-कमाल (शुक्ल पक्ष की पहली रात),बकिया नकिया (बाकी साफ), निहातयुल कमाल (कमाल की सीमा) सहित अनगिनत रचनाएँ लिखीं।

5. मीर तकी मीर (Mir Taqi Mir)


मीर तकी मीर का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा जिले मे सन् 1723 ई. में हुआ था। बचपन में पिता ने ही मीर तकी मीर की देखरेख की थी।
एक उर्दू कवि, जिसका काम प्रेम और आध्यात्मिकता के विषयों की पड़ताल करता है और वह अपने निजी त्रासदियों से तैयार किए गए पैथोस से समृद्ध है, जिसमें परिवार के सदस्यों की असामयिक मौतें शामिल हैं - पहले उसके पिता, फिर उसकी बेटी, बेटा और पत्नी।

6. संत कबीरदास (Sant Kabirdas)


कबीर का जन्म काशी में ज्येष्ठ सुदी पूर्णिमा, संवत 1456 को हुआ माना जाता है। इनके जन्म के बारे में एक किंवदंती प्रचलित है कहा जाता है कि स्वामी रामानंद ने एक बार भूलवश अपने किसी भक्त ब्राह्मण की विधवा कन्या को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया। फलस्वरूप उसे एक बालक उत्पन्न हुआ जिसे वह लोक-भय से लहरतारा ताल के पास फेंक आई।
वहाँ से नीरू नामक मुसलमान जुलाहा उसे अपने घर ले गया और पुत्रवत उसका लालन पालन करने लगा। कालांतर में यही बालक कबीरदास के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बचपन से ही कबीर में हिंदू भाव से भक्ति करने की प्रवृत्ति स्पष्ट थी और वे 'राम-राम' जपा करते थे। उस समय सारे भारत में रामानुज की शिष्य परंपरा के स्वामी रामानंद का प्रभाव फैल रहा था। एक बार कबीर भी उनके शिष्यत्व की आस में पहर रात रहते पंचगंगा घाट की सीढ़ियों पर जाकर लेट गये जहाँ स्वामी जी प्रतिदिन स्नान करने आते थे। अंधेरे में उनका पैर कबीर को लग गया और वे अनायास ’राम-राम कह’ बोल पड़े। इसी को कबीर ने गुरुमंत्र मान लिया और स्वयं को रामानंद का शिष्य कहने लगे।
कबीरदास ने हिंदी में कई बोलियों से उधार लेकर कविताएँ लिखी हैं और जीवन और विश्वास के विभिन्न पहलुओं पर लिखा है।
कबीर के काव्य व्यक्तित्व को उनकी पूजनीय धार्मिक परंपराओं द्वारा विभिन्न रूप से परिभाषित किया गया। उनकी प्रमुख रचनाएं साखी, पद, रमेनी, चौंतीसा, वावनी, विप्रमतीसी, वार, थिंती, चाँवर, बसंत, हिंडोला, बेलि, कहरा, विरहुली, उलटवाँसी है।

7. सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu)





सुप्रसिद्ध कवयित्री सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फ़रवरी, 1879, हैदराबाद में हुआ था भारत देश के सर्वोत्तम राष्ट्रीय नेताओं में से एक थीं। वह भारत के स्वाधीनता संग्राम में सदैव आगे रहीं। उनके संगी साथी उनसे शक्ति, साहस और ऊर्जा पाते थे। युवा शक्ति को उनसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी।
बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने 13 वर्ष की आयु में लेडी ऑफ़ दी लेक नामक कविता रची। वे 1895 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया।
उनकी मृत्यु 70 वर्ष की आयु में 2 मार्च, 1949 को इलाहाबाद हुई।

8. मीराबाई (Mirabai)




भक्तियुग की सर्वश्रेष्ठ कवियत्री कृष्णभक्ति में पुरी तरह रंगे हुयी मीरा बाई 16वी सदी की महान विभूतियों में से एक थी।
मीराबाई का जन्म मेड़ता राजस्थान के राठौड़ राजा रावदूदा के पुत्र रतनसिंह के घर गाँव कुडकी में 1498 में हुआ और उनका विवाह 1516 में राणा सांगा के जयेष्ट पुत्र युवराज भोजराज के साथ हुआ था।
मीराबाई के विवाह के सात वर्ष के पश्चात ही युवराज भोजराज की मृत्यु हो गयी तथा मीराबाई युवावस्था में ही विधवा हो गयी मीराबाई बचपन से ही कृष्ण-भक्त थी उनका अधिकाँश समय भजन-कीर्तन में ही व्यतीत होता था।
भगवान कृष्ण को समर्पित, मीराबाई ने दिव्यता, रहस्यवाद और प्रेम के विषयों की खोज करते हुए कविताएँ लिखी हैं। भगवान कृष्ण के प्रति उनका प्रेम और समर्पण उनके लेखन का आधार था। हालाँकि, उसके काम की कोई मूल पांडुलिपियाँ नहीं हैं।

9. श्री अरबिंदो घोष (Shri Aurobindo Ghosh)



हमारे देश के प्रसिद्ध कवियों में से एक अरबिंदो घोष का जन्म 15 अगस्त 1872 कलकत्ता हुआ था। उनकी कविता मुख्य रूप से आध्यात्मिकता और मृत्यु दर के विषयों पर घूमती है, साथ ही वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता के अनुवाद और टिप्पणियों में शामिल हैं।

10. कमला सूर्या (Kamla Surya)



कमला सूर्या का जन्म 1934 में आज़ादी से 13 साल पहले केरल के साहित्यिक परिवार में हुआ था। उन्होंने मात्र छह वर्ष की आल्प आयु में ही कविताएं लिखना शुरू कर दिया था।
कमला दास का विवाह मात्र 15 वर्ष की आयु में रिज़र्व बैंक के एक अधिकारी माधव दास से हो गया दिलचस्प बात ये थी कि निजी ज़िंदगी में कमला दास का व्यक्तित्व एक परंपरागत महिला के रूप में लोगो के सामने  उभर कर आती है, जबकि उनकी आत्मकथा इसके ठीक विपरीत रूप प्रस्तुत करती है।
कमला सुरैया को एक बार एक कविता "माधविकुट्टी" के लिए जाना जाता है। अपने प्रसिद्ध लेखन में, उन्होंने प्यार, विश्वासघात, महिला कामुकता और राजनीति के बारे में बात की है।

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