Gulzar Shayari in Hindi - गुलजार साहब की मशहूर शायरी

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Gulzar Shayari in hindi

खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते,
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते!!

➖➖ Gulzar Shayari-01 ➖➖

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो!!

➖➖ Gulzar Shayari-02 ➖➖

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे!!

➖➖ Gulzar Shayari-03 ➖➖

लकीरें हैं तो रहने दो,
किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी!!

➖➖ Gulzar Shayari-04 ➖➖

उधड़ी सी किसी फ़िल्म का एक सीन थी बारिश,
इस बार मिली मुझसे तो ग़मगीन थी बारिश!
कुछ लोगों ने रंग लूट लिए शहर में इस के,
जंगल से जो निकली थी वो रंगीन थी बारिश!!

➖➖ Gulzar Shayari-05 ➖➖

दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-06 ➖➖

कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है,
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है!!

➖➖ Gulzar Shayari-07 ➖➖

ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं,
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं!
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं,
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-08 ➖➖

तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे!
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे!!

➖➖ Gulzar Shayari-09 ➖➖

अपने साए से चौंक जाते हैं,
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा!!

➖➖ Gulzar Shayari-10 ➖➖

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-11 ➖➖

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद,
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-12 ➖➖

घर में अपनों से उतना ही रूठो,
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत
दोनों बरक़रार रह सके!!

➖➖ Gulzar Shayari-13 ➖➖

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ!!

➖➖ Gulzar Shayari-14 ➖➖

तन्हाई अच्छी लगती है
सवाल तो बहुत करती पर,
जवाब के लिए
ज़िद नहीं करती!!

➖➖ Gulzar Poetry-15 ➖➖

मोहब्बत आपनी जगह,
नफरत अपनी जगह
मुझे दोनो है तुमसे!!

➖➖ Gulzar Shayari-16 ➖➖

ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा,
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है!!

➖➖ Gulzar Shayari-17 ➖➖

काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी,
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी!!

➖➖ Gulzar Shayari-18 ➖➖

तजुर्बा कहता है रिश्तों में फैसला रखिए,
ज्यादा नजदीकियां अक्सर दर्द दे जाती है!!

➖➖ Gulzar Shayari-19 ➖➖

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं,
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है!!

➖➖ Gulzar Shayari-20 ➖➖

रात को भू कुरेद कर देखो,
अभी जलता हो कोई पल शायद!!

➖➖ Gulzar Shayari-21 ➖➖

कोई समझे तो, एक बात कहूँ साहब
तनहाई सौ गुना बेहतर है, मतलबी लोगों से!!

➖➖ Gulzar Shayari-22 ➖➖

अगर कसमें सब होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता!!

➖➖ Gulzar Shayari-23 ➖➖

हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह,
हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह!!

➖➖ Gulzar Shayari-24 ➖➖

मुद्दतें लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर,
तैयार हुआ तो मौसम बदल चूका था!!

➖➖ Gulzar Shayari-25 ➖➖

तुम लौट कर आने की तकलीफ़ मत करना,
हम एक ही मोहब्बत दो बार नहीं किया करते!!

➖➖ Gulzar Shayari-26 ➖➖

जागना भी काबुल है तेरी यादों में रातभर,
तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ!!

➖➖ Gulzar Shayari-27 ➖➖

तमाशा करती है मेरी जिंदगी,
गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-28 ➖➖

वफा की उम्मीद ना करो उन लोगों से,
जो मिलते हैं किसी और से होते है किसी और के!!

➖➖ Gulzar Shayari-29 ➖➖

उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले!!

➖➖ Gulzar Shayari-30 ➖➖

वो जो उठातें हैं क़िरदार पर उंगलियां,
तोहफे में उनको आप आईने दीजिए!!

➖➖ Gulzar Shayari-31 ➖➖

आज मैंने खुद से एक वादा किया है,
माफ़ी मांगूंगा तुझसे तुझे रुसवा किया है!!

➖➖ Gulzar Shayari-32 ➖➖

हर मोड़ पर रहूँगा मैं तेरे साथ साथ,
अनजाने में मैंने तुझको बहुत दर्द दिया है!!

➖➖ Gulzar Shayari-33 ➖➖

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ!!

➖➖ Gulzar Shayari-34 ➖➖

यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता,
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता!!

➖➖ Gulzar Shayari-35 ➖➖

आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-36 ➖➖

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई!!

➖➖ Gulzar Shayari-37 ➖➖

कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया,
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की!!

➖➖ Gulzar Shayari-38 ➖➖

इतने लोगों में कह दो अपनी आँखों से,
इतना ऊँचा न ऐसे बोला करे, लोग मेरा नाम जान जाते हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-39 ➖➖

मंजर भी बेनूर था और फिजायें भी बेरंग थीं!!
बस फिर तुम याद आये और मौसम सुहाना हो गया!!

➖➖ Gulzar Shayari-40 ➖➖

आ रही है जो चाप क़दमों की,
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद!!

➖➖ Gulzar Shayari-41 ➖➖

उनके दीदार के लिए दिल तड़पता है,
उनके इंतजार में दिल तरसता है!
क्या कहें इस कम्बख्त दिल को,
अपना हो कर किसी और के लिए धड़कता है!!

➖➖ Gulzar Shayari-42 ➖➖

कहानी शुरू हुई है तो खतम भी होगी,
किरदार गर काबिल हुए तो याद रखे जाएंगे!!

➖➖ Gulzar Shayari-43 ➖➖

मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?,
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत!!

➖➖ Gulzar Shayari-44 ➖➖

मेरी कोई खता तो साबित कर,
जो बुरा हूँ तो बुरा तो साबित कर!
तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने,
चल मैं बेवफा ही सही,
तू अपनी वफ़ा तो साबित कर!!

➖➖ Gulzar Shayari-45 ➖➖

मिल गया होगा कोई गजब का हमसफ़र,
वरना मेरा यार यूँ बदले वाला नहीं था!!

➖➖ Gulzar Shayari-46 ➖➖

तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे,
मगर हमारी बेचेनियों की वजह बस तुम हो!!

➖➖ Gulzar Shayari-47 ➖➖

मैं दिया हूँ, मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-48 ➖➖

थोड़ा है थोड़े की जरूरत है,
ज़िन्दगी फिर भी यहाँ खुबसूरत है!!

➖➖ Gulzar Shayari-49 ➖➖

मुझको मेरे वजूद की हद तक न जानिये,
बेहद हूँ, बेहिसाब हूँ, बे-इन्तहां हूँ में!!

➖➖ Gulzar Shayari-50 ➖➖

देख दर्द किसी और का आह दिल से निकल जाती है,
बस इतनी सी बात तो आदमी को इंसान बनाती है!!

➖➖ Gulzar Shayari-51 ➖➖

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें!!

➖➖ Gulzar Shayari-52 ➖➖

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे!!

➖➖ Gulzar Shayari-53 ➖➖

जख्म कहाँ-कहाँ से मिले हैं छोड़ इन बातों को,
ज़िन्दगी तू तो बता, सफ़र और कितना बाकी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-54 ➖➖

जब मिला शिकवा अपनों से तो ख़ामोशी ही भलीं,
अब हर बात पर जंग हो यह जरुरी तो नहीं!!

➖➖ Gulzar Shayari-55 ➖➖

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो!!

➖➖ Gulzar Shayari-56 ➖➖

तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ,
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ!!

➖➖ Gulzar Shayari-57 ➖➖

तकलीफ खुद ही कम हो गई,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गई !!

➖➖ Gulzar Shayari-58 ➖➖

रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो,
दिन की चादर अभी उतारी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-59 ➖➖

जब भी यह दिल उदास उदास होता है,
जाने कौन आस पास होता है!
कोई वादा नही किया लेकिन,
क्यों तेरा इंतजार होता है!!

➖➖ Gulzar Shayari-60 ➖➖

छोटा सा साया था आँखों में आया था,
हमने दो बूंदों से मन भर लिया!!

➖➖ Gulzar Shayari-61 ➖➖

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-62 ➖➖

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-63 ➖➖

तुम शोर करते हो,
सुर्खियों में आने के लिए,
हमारी तो खामोशियां अखबार बनी हुई हैं !!

➖➖ Gulzar Shayari-64 ➖➖

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!!

➖➖ Gulzar Shayari-65 ➖➖

आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-66 ➖➖

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया!!

➖➖ Gulzar Shayari-67 ➖➖

इतना क्यों सिखाए जा रहे हो जिंदगी,
हमें कौन सी सदियां गुजारनी है यहां!!

➖➖ Gulzar Shayari-68 ➖➖

मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका!!

➖➖ Gulzar Shayari-69 ➖➖

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी, चाँद भी था, मगर नींद नहीं!!

➖➖ Gulzar Shayari-70 ➖➖

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई!!

➖➖ Gulzar Shayari-71 ➖➖

लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है,
चलिए छोड़िए कौनसाक्या पहली दफा है!!

➖➖ Gulzar Shayari-72 ➖➖

शायर बनना तो बहुत आसान हैं बस,
एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए!!

➖➖ Gulzar Shayari-73 ➖➖

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें!!

➖➖ Gulzar Shayari-74 ➖➖

किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत,
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं!!

➖➖ Gulzar Shayari-75 ➖➖

देर से गूँजतें   हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई!!

➖➖ Gulzar Shayari-76 ➖➖

हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं!!

➖➖ Gulzar Shayari-77 ➖➖

कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे!!

➖➖ Gulzar Shayari-78 ➖➖

दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा,
इसका शायद कोई हल नहीं हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-79 ➖➖

शोर की तो एक उम्र होती हैं,
ख़ामोशी सदाबहार होती हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-80 ➖➖

बेहिसाब हसरते ना पालिये,
जो मिला हैं उसे सम्भालिये!!

➖➖ Gulzar Shayari-81 ➖➖

तोड़कर जोड़ लो चाहे हर चीज दुनिया की,
सब कुछ काबिले मरम्मत है एतबार के सिवा!!

➖➖ Gulzar Shayari-82 ➖➖

कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है!!

➖➖ Gulzar Shayari-83 ➖➖

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ,
उस ने सदियों की जुदाई दी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-84 ➖➖

मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को,
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है!!

➖➖ Gulzar Shayari-85 ➖➖

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में,    
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में!!

➖➖ Gulzar Shayari-86 ➖➖

फासला बढ़ा लिया तुमने,
मैंने दीवार पक्की कर ली!
जरा सी गलतफहमी ने देखो,
कितनी तरक्की कर ली!!

➖➖ Gulzar Shayari-87 ➖➖

हम तो अब याद भी नहीं करते,  
आप को हिचकी लग गई कैसे!!

➖➖ Gulzar Shayari-88 ➖➖

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता!!

➖➖ Gulzar Shayari-89 ➖➖

कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना!!

➖➖ Gulzar Shayari-90 ➖➖

बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती!!

➖➖ Gulzar Shayari-91 ➖➖

बहुत छाले है उसके पैरों में ,
कमबख्त उसूलों पर चला होगा!!

➖➖ Gulzar Shayari-92 ➖➖

मैंने दबी आवाज़ में पूछा
मुहब्बत करने लगी हो,
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत!!

➖➖ Gulzar Shayari-93 ➖➖

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-94 ➖➖

फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी रिहाई दी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-95 ➖➖

रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश!!

➖➖ Gulzar Shayari-96 ➖➖

बिगड़ैल हैं ये यादे,
देर रात को टहलने निकलती हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-97 ➖➖

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी,
और ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे!!

➖➖ Gulzar Shayari-98 ➖➖

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-99 ➖➖

तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-100 ➖➖

थोडा सा हँसा के थोडा सा रुला के,
पल ये भी जाने वाला हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-101 ➖➖

आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई!!

➖➖ Gulzar Shayari-102 ➖➖

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,
मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-103 ➖➖

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की!!

➖➖ Gulzar Shayari-104 ➖➖

सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूं जी भरा भरा सा रहता है!!

➖➖ Gulzar Shayari-105 ➖➖

वह चीज जिसे दिल कहते है,
हम भूल गए है रखकर कहीं!!

➖➖ Gulzar Shayari-106 ➖➖

एक बार तो यूँ होगा कि थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी और ना सर पे जूनून होगा!!

➖➖ Gulzar Shayari-107 ➖➖

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते!!

➖➖ Gulzar Shayari-108 ➖➖

तुझसे कोई शिकवा शिकायत नही है,
जिंदगी तूने जो भी दिया है वही बहुत है!!

➖➖ Gulzar Shayari-109 ➖➖

आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने एतबार किया!!

➖➖ Gulzar Shayari-110 ➖➖

वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए!!

➖➖ Gulzar Shayari-111 ➖➖

कुछ शिकायत बनी रहे तो बेहतर है,
चाशनी में डूबे रिश्ते वफादार नही होते!!

➖➖ Gulzar Shayari-112 ➖➖

अच्छी किताबें और अच्छे लोग,
तुरंत समझ में नहीं आते,
उन्हें पढना पड़ता हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-113 ➖➖

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं तुम शर्ते बदल देते हो!!

➖➖ Gulzar Shayari-114 ➖➖

तकलीफ़ ख़ुद ही कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं!!

➖➖ Gulzar Shayari-115 ➖➖

चुप हो तो पत्थर ना समझना मुझे,
दिल पर असर हुआ है किसी अपने की बात का!!

➖➖ Gulzar Shayari-116 ➖➖

सीने में धड़कता जो हिस्सा हैं,
उसी का तो ये सारा किस्सा हैं!!

➖➖ Gulzar Shayari-117 ➖➖

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया!!

➖➖ Gulzar Shayari-118 ➖➖

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे!!

➖➖ Gulzar Shayari-119 ➖➖

ग़म मौत का नहीं है, ग़म ये के
आखिरी वक़्त भी तू मेरे घर नहीं है!!

➖➖ Gulzar Shayari-120 ➖➖

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है!!

➖➖ Gulzar Shayari-121 ➖➖

तेरी तरह बेवफा निकले मेरे घर के आईने भी,
खुद को देखूं तेरी तस्वीर नजर आती है!!

➖➖ Gulzar Shayari-122 ➖➖

किसने रास्ते मे चांद रखा था,
मुझको ठोकर लगी कैसे!!

➖➖ Gulzar Shayari-123 ➖➖

वक़्त पे पांव कब रखा हमने,
ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे!!

➖➖ Gulzar Shayari-124 ➖➖

आंख तो भर आयी थी पानी से,
तेरी तस्वीर जल गयी कैसे!!

➖➖ Gulzar Shayari-125 ➖➖

महदूद हैं दुआएँ मेरे अख्तियार में,
हर साँस हो सुकून की तू सौ बरस जिये!!

Gulzar

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