आज हम हिंदी भाषा के विश्व विख्यात कवि और युवाओं के दिल की धड़कन कुमार विश्वास के जीवन के बारे में संक्षिप्त विवरण जानते है
सम्पूर्ण सिंह कालरा उर्फ़ गुलज़ार भारतीय गीतकार, कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक तथा नाटककार हैं। गुलजार को हिंदी सिनेमा के लिए कई प्रसिद्ध अवार्ड्स से भी नवाजा जा चुका है। उन्हें 2004 में भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण से भी नवाजा जा चूका है। इसके अलावा उन्हें 2009 में डैनी बॉयल निर्देशित फिल्म स्लम्डाग मिलियनेयर मे उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिये उन्हे सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हे ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
गुलज़ार का प्रारम्भिक जीवन (Early Life of Gulzar)
सम्पूर्ण सिंह कालरा उर्फ़ गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 में दीना, झेलम जिला, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। गुलज़ार अपने पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान हैं। उनके पिता का नाम माखन सिंह कालरा और माँ का नाम सुजान कौर था। जब गुलजार बेहद मासूम और छोटे थे तभी उनकी माँ का इंतकाल हो गया। वह नौ भाई-बहन में चौथे नंबर पर थे। देश के विभाजन के वक्त इनका परिवार पंजाब के अमृतसर में आकर बस गया। वहीं गुलज़ार साहब मुंबई चले आए। मुंबई आकर उन्होंने एक गैरेज में बतौर मैकेनिक का करना शुरू कर दिया। वह खाली समय में शौकिया तौर पर कवितायें लिखने लगे। इसके बाद उन्होंने गैरेज का काम छोड़ हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के रूप में काम करने लगे।
गुलज़ार का वैवाहिक जीवन (Married Life of Gulzar)
गुलज़ार की शादी तलाकशुदा अभिनेत्री राखी गुलजार से हुई हैं। गुलजार और राखी ने जब शादी की तब राखी की यह दूसरी तथा गुलजार की पहली शादी थी। राखी का पहला विवाह पन्द्रह साल की उम्र में अजय विश्वास के साथ हुआ था। दोनों की शादी नहीं चली और राखी अलग हो गई। 1973 में राखी ने गुलजार से विवाह किया। बेटी मेघना गुलजार के जन्म के एक वर्ष बाद ही दोनों अलग हो गए। गुलजार ने अपनी फिल्मों में स्त्री-पुरुष संबंध को काफी बारीकी से दिखाया है, अफसोस की बात यह है कि निजी जीवन में गुलजार का वैवाहिक रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाया। हालांकि दोनों ने अधिकृत रूप से एक दुसरे से तलाक नहीं लिया। अलग क्यों हुए? इस बात पर गरिमामयी चुप्पी दोनों ने साध रखी है, लेकिन कहा जाता है कि गुलजार चाहते थे कि राखी फिल्मों में काम ना करें और राखी को यह शर्त मंजूर नहीं थी। लिहाजा दोनों ने अलग रहने का निर्णय ले लिया।
गुलज़ार का कैरियर (Carrier of Gulzar)
गुलजार का हिंदी सिनेमा में करियर बतौर गीत लेखक एस डी बर्मन की फिल्म बंधिनी से शुरू हुआ। साल 1968 में उन्होंने फिल्म आशीर्वाद का संवाद लेखन किया। इस फिल्म में अशोक कुमार नजर आये थे। इस फिल्म के लिए अशोक कुमार को फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला था। इसके बाद उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों के गानों के बोल लिखे जिसके लिए उन्हें हमेशा आलोचकों और दर्शकों की तारीफें मिली। साल 2007 में उन्होंने हॉलीवुड फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर का गाना जय हो लिखा। उन्हें इस फिल्म के ग्रैमी अवार्ड से भी नवाजा गया। उन्होंने बतौर निर्देशक भी हिंदी सिनेमा में अपना बहुत योगदान दिया हैं उन्होंने अपने निर्देशन में कई बेहतरीन फ़िल्में दर्शकों को दी हैं। जिन्हे दर्शक आज भी देखना पसंद करते हैं। उन्होंने बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे के लिए भी काफी कुछ लिखा है। जिनमे दूरदर्शन का शो जंगल बुक भी शामिल है।
गुलज़ार एक लेखक, एक गीतकार, एक निर्देशक और दिल में एक कवि हैं। उनकी फिल्में संवेदनशील, गीतात्मक और फिर भी सफल रहीं, 1970 और 1980 के दशक की संवेदनशील फिल्मों से एक स्वागत योग्य राहत मिली।
गुलज़ार ने अपने निर्देशन की शुरुआत मेरे अपने 1971 से की। तपन सिन्हा की "अपंजन" पर आधारित यह फिल्म एक बूढ़ी महिला (मीना कुमारी द्वारा अभिनीत) पर नजर डालती है, जो बेरोजगार और निराश युवाओं के दो सड़क गिरोह के बीच पकड़ी गई थी।
इसके बाद वे परिकेय (1972) संगीत की आवाज़ (1965) और कोशिश (1972) पर आधारित, जो एक बहरे और गूंगे जोड़े के परीक्षण पर शानदार नज़र
गुलजार मूलत: उर्दू और पंजाबी के कवि हैं लेकिन बॉलीवुड के कई गानों में उन्होंने उत्तरी भारत की कई भाषाओं का प्रयोग किया है. भारत पाकिस्तान के बीच शांति के लिए दोनों देशों के कई मीडिया समूहों द्वारा चलाए गए पीस कैम्पेन ‘अमन की आशा’ के लिए ‘नजर में रहते हो…’ एन्थम की रचना की. इसे शंकर महादेवन और राहत फतेह अली खान ने गाया था.
उनकी असल जिंदगी की कहानी फिल्मों से बिल्कुल अलग है। एक लेखक बनने से पहले, गुलजार एक कार मैकेनिक के रूप में काम करते थे। लेकिन जल्द ही उन्होंने बॉलीवुड में खुद के लिए एक जगह बना ली। हिंदी के अलावा, उन्होंने पंजाबी, मारवाड़ी, भोजपुरी जैसी अन्य भारतीय भाषाओं में अपनी लेखनी चलाई है। उन्होंने दो प्रसिद्ध कलाकारों- बिमल रॉय और ऋषिकेश मुखर्जी के साथ अपना करियर शुरू किया था।
गुलज़ार के प्रमुख रचनाएँ (Tops Compositions of Gulzar)
- छैंया-छैंया - गज़ल संग्रह
- यार जुलाहे - नज़्म एवं गज़ल संग्रह
- त्रिवेणी - त्रिवेणी संग्रह
- पुखराज - नज़्म एवं त्रिवेणी संग्रह
- कुछ और नज्में - नज़्म संग्रह
- रात पश्मीने की - नज़्म एवं त्रिवेणी संग्रह
- चौरस रात - लघु कथाएँ, 1962
- जानम - कविता संग्रह, 1963
- एक बूँद चाँद - कविताएँ, 1972
- रावी पार - कथा संग्रह, 1997
- रात, चाँद और मैं - 2002
- खराशें - 2003
बतौर निर्देशक गुलज़ार की प्रमुख फ़िल्में (As a Director Gulzar Tops Films )
- मेरे अपने - 1971
- परिचय - 1972
- कोशिश - 1972
- अचानक - 1973
- खुशबू - 1974
- आँधी - 1975
- मौसम - 1976
- किनारा - 1977
- किताब - 1978
- अंगूर - 1980
- नमकीन - 1981
- मीरा - 1981
- इजाजत - 1986
- लेकिन - 1990
- लिबास - 1993
- माचिस - 1996
- हु तू तू - 1999
गुलज़ार को मिले प्रमुख पुरस्कार (Tops Award for Gulzar)
- फ़िल्म ‘कोशिश’ के लिए वर्ष 1972 में फ़िल्म ‘सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले’ का पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- फ़िल्म ‘मौसम’ के लिए वर्ष 1975 में के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ निर्देशक’ पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
- फ़िल्म ‘इजाज़त’ के लिए वर्ष 1987 में ‘सर्वश्रेष्ठ गीतकार’ का पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- फ़िल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के लिए वर्ष 2009 में उनके गीत ‘जय हो’ को ‘ऑस्कर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2002 में उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
- फ़िल्म ‘धुआं’के लिए वर्ष 2003 में भी उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
- भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए वर्ष 2004 में उन्हें देश के तीसरे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ से भी सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2013 में उन्हें ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ दिया गया।
0 Comments